अपना ही अक्स नज़र आती है अक्सर मुझको
वो हर इक चीज जो मिट्टी की बनी होती है
इतने अरमानो की गठरी लिये फिरते हो ’अमित’
उम्र इंसान की आख़िर कितनी होती है
- अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'
वो हर इक चीज जो मिट्टी की बनी होती है
इतने अरमानो की गठरी लिये फिरते हो ’अमित’
उम्र इंसान की आख़िर कितनी होती है
- अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'
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