Tuesday, April 28, 2020

मुझ को ख़ुद तक जाना था

मुझ को ख़ुद तक जाना था
इश्क़ तो एक बहाना था

रब तक आना जाना था
सच से जब याराना था

हम न समझ पाए वरना
दुःख भी एक तराना था

हाय वहाँ भी बच निकले
हमको जहाँ दिख जाना था

पँख बिना भी उड़ते थे
वो भी एक ज़माना था

-हस्तीमल 'हस्ती'

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