मुझ को ख़ुद तक जाना था
इश्क़ तो एक बहाना था
रब तक आना जाना था
सच से जब याराना था
हम न समझ पाए वरना
दुःख भी एक तराना था
हाय वहाँ भी बच निकले
हमको जहाँ दिख जाना था
पँख बिना भी उड़ते थे
वो भी एक ज़माना था
-हस्तीमल 'हस्ती'
इश्क़ तो एक बहाना था
रब तक आना जाना था
सच से जब याराना था
हम न समझ पाए वरना
दुःख भी एक तराना था
हाय वहाँ भी बच निकले
हमको जहाँ दिख जाना था
पँख बिना भी उड़ते थे
वो भी एक ज़माना था
-हस्तीमल 'हस्ती'
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