ज़ख्म खाकर मुस्कुराऊँ शर्त है सय्याद की
थक चुका हूँ मैं ये नज़राना अदा करते हुए
ऐ मेरे आज़ाद भाई बन गया हूँ मैं ग़ुलाम
तेरी आज़ादी का जुर्माना अदा करते हुए
-इक़बाल अशहर
(सय्याद = शिकारी)
थक चुका हूँ मैं ये नज़राना अदा करते हुए
ऐ मेरे आज़ाद भाई बन गया हूँ मैं ग़ुलाम
तेरी आज़ादी का जुर्माना अदा करते हुए
-इक़बाल अशहर
(सय्याद = शिकारी)
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