mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, May 7, 2020
वो जो ख़्वाब थे मेरे ज़हन में, न मैं कह सका न मैं लिख सका
के ज़बाँ मिली तो कटी हुई के कलम मिला तो बिका हुआ
-इक़बाल अशहर
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