Wednesday, September 23, 2020

नज़र जमी है तारों पर

नज़र जमी है तारों पर
चलना है अंगारों पर

ज़ख़्म दिए सब फूलों ने
तोहमत आई ख़ारों पर

(तोहमत=इल्ज़ाम), (ख़ार=काँटा)

घर, घरवालों ने लूटा
शक है पहरेदारों पर

गुम-सुम पँछी बैठे हैं
सब बिजली के तारों पर

सुर्ख़ लहू के फूल खिले
ज़ंग लगी तलवारों पर

"शाहिद" जितना ख़ून बहा
रंग चढ़ा अख़बारों पर

- शाहिद मीर


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