होंठों पर मुस्कान पढ़ा कर
ग़म का तू उनवान पढ़ा कर।
(उनवान = शीर्षक)
फिर गीता क़ुरआन पढ़ा कर
पहले दिल नादान पढ़ा कर।
हर्फ़ बड़े मुश्किल फ़ितरत के
चेहरा है आसान पढ़ा कर।
(हर्फ़ = अक्षर), (फ़ितरत = स्वाभाव, प्रकृति)
ताज बचाना है गर तुझको
आंखों में तूफान पढ़ा कर।
हुक़्म उदूली कर दुनिया की
पर दिल का फ़रमान पढ़ा कर।
(हुक़्म उदूली = कहना न मानना), (फ़रमान = राजकीय आज्ञापत्र, आज्ञा, आदेश, हुक्म )
हाथ मेरा ऐ पढ़ने वाले
आंखें हैं पहचान पढ़ा कर।
आसां होगी फिर हर मुश्किल
मुश्किल को आसान पढ़ा कर।
कृष्ण नज़र आएंगे तुझको
मीरा और रसखान पढ़ा कर।
आ जाएगा ग़ज़लें कहना
ग़ालिब का दीवान पढ़ा कर।
- विकास वाहिद
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