Thursday, April 4, 2013

फ़ुगाँ कि मुझ ग़रीब को हयात का ये हुक्म है,
समझ हरेक राज़ को मगर फ़रेब खाए जा ।
- जोश मलीहाबादी

[(फ़ुगाँ = दुहाई), (हयात = जीवन)]






 

No comments:

Post a Comment