Saturday, May 25, 2013

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊंगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूं ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बराए मेहरबानी दे गया

सब हवाएं ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझको एक कश्ती बादबानी दे गया

(कश्ती बादबानी =पाल वाली नाव )

खैर, मैं प्यासा रहा पर उसने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया

-जावेद अख़्तर



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