Wednesday, October 23, 2013

वस्ल हो जाय यहीं, हश्र में क्या रक्खा है ?
आज की बात को क्यों कल पे उठा रक्खा है ?

तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सभी कुछ मिल जाय
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
-अमीर मीनाई

[(वस्ल = मिलन), (हश्र = क़यामत)]

1 comment:

  1. waah waah....
    sab kuchh khuda se maang liya
    ek tujhko maangkar.......

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