Saturday, August 30, 2014

फ़ासला तो है मगर, कोई फ़ासला नहीं
मुझ से तुम जुदा सही, दिल से तो जुदा नहीं

आसमाँ की फ़िक्र क्या, आसमाँ ख़फ़ा सही
आप ये बताइये, आप तो ख़फ़ा नहीं

(ख़फ़ा = नाराज़)

कारवाँ-ए-आरज़ू इस तरफ़ ना रुख़ करे
उन की रहगुज़र है दिल, आम रास्ता नहीं

(कारवाँ-ए-आरज़ू = इच्छाओं का काफ़िला), (रहगुज़र = राहगुज़र = रास्ता, मार्ग सड़क)

कश्तियाँ नहीं तो क्या, हौसले तो पास हैं 
कह दो नाख़ुदाओं से, तुम कोई ख़ुदा नहीं 

(नाख़ुदा = नाविक, मल्लाह)

लीजिये बुला लिया आपको ख़याल में 
अब तो देखिये हमें, कोई देखता नहीं  

इक शिकस्त-ए-आईना बन गयी है सानेहा
टूट जाए दिल अगर, कोई हादसा नहीं

(शिकस्त-ए-आईना = आईने का टूटना), (सानेहा = आपत्ति, मुसीबत, दुर्घटना)

आइये चराग़-ए-दिल आज ही जलाएँ हम
कैसी कल हवा चले, कोई जानता नहीं

(चराग़-ए-दिल =  दिल के दीपक)

किस लिए 'शमीम' से इतनी बद-गुमानियाँ
मिल के देखिये कभी, आदमी बुरा नहीं

(बद-गुमानियाँ = बुरे ख़्याल रखना, कुधारणा

-शमीम करहानी 

No comments:

Post a Comment