कितनी राहत है दिल टूट जाने के बाद
ज़िंदगी से मिले मौत आने के बाद
लज़्ज़त-ए-सजदा-ए-संग-ए-दर क्या कहें
होश ही कब रहा सर झुकाने के बाद
(लज़्ज़त-ए-सजदा-ए-संग-ए-दर = पत्थर के दरवाज़े पर माथा टेकने का आनंद)
क्या हुआ हर मसर्रत अगर छिन गई
आदमी बन गया ग़म उठाने के बाद
(मसर्रत = हर्ष, आनंद, ख़ुशी)
रात का माजरा किससे पूछूँ 'शमीम'
क्या बनी बज़्म पर मेरे आने के बाद
[(माजरा = हाल, वृत्तांत, घटना), (बज़्म = महफ़िल, सभा)]
-शमीम जयपुरी
ज़िंदगी से मिले मौत आने के बाद
लज़्ज़त-ए-सजदा-ए-संग-ए-दर क्या कहें
होश ही कब रहा सर झुकाने के बाद
(लज़्ज़त-ए-सजदा-ए-संग-ए-दर = पत्थर के दरवाज़े पर माथा टेकने का आनंद)
क्या हुआ हर मसर्रत अगर छिन गई
आदमी बन गया ग़म उठाने के बाद
(मसर्रत = हर्ष, आनंद, ख़ुशी)
रात का माजरा किससे पूछूँ 'शमीम'
क्या बनी बज़्म पर मेरे आने के बाद
[(माजरा = हाल, वृत्तांत, घटना), (बज़्म = महफ़िल, सभा)]
-शमीम जयपुरी
No comments:
Post a Comment