Monday, October 20, 2014

तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ

तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी
कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ

(वादा-ए-बेहिजाबी = बिना परदे में रहने का वादा)

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

(ज़ाहिदों = जितेन्द्रिय या संयमी व्यक्ति)

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िल
चिराग़-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ

(अहल-ए-महफ़िल = महफ़िल के लोग), (चिराग़-ए-सहर = सुबह का दीपक)

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ

(बज़्म = महफ़िल)

- अल्लामा इक़बाल

Rahat Fateh Ali Khan/ राहत फ़तेह अली ख़ान 

Dr. Radhika Chopda/ डा राधिका चोपड़ा 

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