Saturday, December 6, 2014

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई

(दहर = ज़माना, समय, युग)

इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूं मौत को सीने से लगाता नहीं कोई

-कैफ़ी आज़मी

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