रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
(दहर = ज़माना, समय, युग)
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूं मौत को सीने से लगाता नहीं कोई
-कैफ़ी आज़मी
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
(दहर = ज़माना, समय, युग)
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूं मौत को सीने से लगाता नहीं कोई
-कैफ़ी आज़मी
No comments:
Post a Comment