Saturday, December 6, 2014

मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिली जिसको सबक़ याद हुआ
-मीर ताहिर अली रिज़वी

(मकतब-ए-इश्क़ = इश्क़ की पाठशाला)

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