Friday, January 8, 2016

प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है

प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
छोड़ दूँ मैं आदाब-ए-मुहब्बत, ये कैसे हो सकता है

(आदाब-ए-मुहब्बत = प्यार के नियम, शिष्टाचार)

चन्द किताबें तो कहतीं हैं, कहतीं रहें, कहने से क्या
इश्क़ न हो इंसाँ की ज़रूरत, ये कैसे हो सकता है

फूल न महकें, भँवर न बहकें, गीत न गाये कोयलिया
और बच्चे ना करें शरारत, ये कैसे हो सकता है

जन्नत का अरमान अगर है, मौत से यारी कर प्यारे
जीते जी मिल जाए जन्नत, ये कैसे हो सकता है

कोई मुहब्बत से है खाली कोई सोने-चाँदी से
हर झोली में हो हर दौलत, ये कैसे हो सकता है

तेरी लगन और तेरे जुनूँ में कोई कमी होगी 'हस्ती'
वरना रंग न लाए चाहत, ये कैसे हो सकता है

-हस्तीमल 'हस्ती'

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