ज़िन्दगी होम कर दी गुलों के लिये
और तरसते रहे खुशबुओं के लिए
(गुलों = फूलों)
सबको अपने लिये रौशनी चाहिये
कोई जलता नहीं दूसरों के लिये
-हस्तीमल 'हस्ती'
और तरसते रहे खुशबुओं के लिए
(गुलों = फूलों)
सबको अपने लिये रौशनी चाहिये
कोई जलता नहीं दूसरों के लिये
-हस्तीमल 'हस्ती'
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