Friday, January 8, 2016

ज़मीं पर आओ, फिर देखो, हमारी अहमियत क्या है
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाजा नहीं होता
-मुज़फ़्फ़र रज़्मी

No comments:

Post a Comment