Saturday, January 23, 2016

कोई ये कह दे गुलशन गुलशन

कोई ये कह दे गुलशन गुलशन
लाख बलाएँ एक नशेमन

(गुलशन = बग़ीचा), (नशेमन = घोंसला)

कामिल रहबर क़ातिल रहज़न
दिल सा दोस्त न दिल सा दुश्मन

(कामिल = योग्य, दक्ष), (रहबर = रास्ता दिखाने वाला, पथप्रदर्शक), (रहज़न = डाकू, लुटेरा)

फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
लेकिन अपना अपना दामन

उम्रें बीतीं सदियाँ गुज़रीं
है वही अब तक इश्क़ का बचपन

इश्क़ है प्यारे खेल नहीं है
इश्क़ है कार-ए-शीशा-ओ-आहन

(कार-ए-शीशा-ओ-आहन = लोहे और काँच का काम)

खै़र मिज़ाज-ए-हुस्न की या-रब
तेज़ बहुत है दिल की धड़कन

आज न जाने राज़ ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी रोशन

(हिज्र = बिछोह, जुदाई)

आ कि न जाने तुझ बिन कल से
रूह है लाशा जिस्म है मदफ़न

(मदफ़न = कब्रिस्तान)

तुझ सा हसीं और ख़ून-ए-मोहब्बत
वहम है शायद सुर्ख़ी-ए-दामन

बर्क-ए-हवादिस अल्लाह अल्लाह
झूम रही है शाख़-ए-नशेमन

(बर्क-ए-हवादिस = हादसों की आसमानी बिजली)

तू ने सुलझ कर गेसू-ए-जानाँ
और बढ़ा दी शौक़ की उलझन

(गेसू-ए-जानाँ = प्रेमिका की ज़ुल्फ़ें)

रहमत होगी तालिब-ए-इस्याँ
रश्क करेगी पाकि-ए-दामन

(रहमत = कृपा, अनुकम्पा), (तालिब-ए-इस्याँ =  गुनाह ढूँढने वाले), (रश्क = जलन), (पाकि-ए-दामन = चरित्र की पवित्रता)

दिल कि मुजस्सम आईना-सामाँ
और वो ज़ालिम आईना-दुश्मन

(मुजस्सम = साकार), (आईना-सामाँ = आईने की तरह)

बैठे हम हर बज़्म में लेकिन
झाड के उट्ठे अपना दामन

(बज़्म = महफ़िल)

हस्ती-ए-शायर अल्लाह अल्लाह
हुस्न की मंज़िल इश्क़ का मस्कन

(हस्ती-ए-शायर = शायर का जीवन), (मस्कन = रहने की जगह, घर)

रंगीं फितरत सादा तबीअत
फ़र्श-नशीं और अर्श-नशेमन

(फ़र्श-नशीं = ज़मीन पर बैठने वाला), (अर्श-नशेमन = ऊँचा घोंसला)

काम अधूरा और आज़ादी
नाम बड़े और थोड़े दर्शन

शमअ है लेकिन धुंधली धुंधली
साया है लेकिन रोशन रोशन

काँटों का भी हक़ है कुछ  आखि़र
कौन छुड़ाए अपना दामन

चलती फिरती छाँव है प्यारे
किस का सहरा कैसा गुलशन

(सहरा = रेगिस्तान), (गुलशन = बग़ीचा)

-जिगर मुरादाबादी



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