फूल की डाली है या शमसीर है
ऐ मुसव्विर ! खूब ये तस्वीर है
(शमसीर = तलवार), (मुसव्विर = तस्वीर बनाने वाला, चित्रकार)
सोचता रहता हूँ उसको देखकर
ख़्वाब है या ख़्वाब की ताबीर है
(ताबीर = स्वप्नकाल बताना, स्वप्न का फल)
चुप हूँ मैं और बोलती जाती है वो
सामने मेरे अजब तस्वीर है
दिल खिंचा जाता है खुद उसकी तरफ़
हाय! कितना खूबसूरत तीर है
भूल बैठा हूँ मैं अब तर्ज़े सुखन
उसके लफ़्ज़ों में अजब तासीर है
(तर्ज़े सुखन = काव्यशैली), (तासीर = प्रभाव, असर)
वो तो 'आलम' खूबसूरत हार है
तुम समझते थे जिसे ज़ंजीर है
- आलम खुर्शीद
ऐ मुसव्विर ! खूब ये तस्वीर है
(शमसीर = तलवार), (मुसव्विर = तस्वीर बनाने वाला, चित्रकार)
सोचता रहता हूँ उसको देखकर
ख़्वाब है या ख़्वाब की ताबीर है
(ताबीर = स्वप्नकाल बताना, स्वप्न का फल)
चुप हूँ मैं और बोलती जाती है वो
सामने मेरे अजब तस्वीर है
दिल खिंचा जाता है खुद उसकी तरफ़
हाय! कितना खूबसूरत तीर है
भूल बैठा हूँ मैं अब तर्ज़े सुखन
उसके लफ़्ज़ों में अजब तासीर है
(तर्ज़े सुखन = काव्यशैली), (तासीर = प्रभाव, असर)
वो तो 'आलम' खूबसूरत हार है
तुम समझते थे जिसे ज़ंजीर है
- आलम खुर्शीद
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