एक हम हैं कि कभी याद भी आया न गया
एक वो है कि कभी उसको भुलाया न गया
उसकी तस्वीर उतारे तो ज़माना गुज़रा
फिर भी दीवार से तस्वीर का साया न गया
इस तरह टूट के बिखरा है कोई ख्वाब कि फिर
दूसरा ख्वाब इन आँखों से सजाया न गया
कैसे वीरान जज़ीरे से है निस्बत दिल को
भूले भटके भी यहाँ कोई न आया न गया
(जज़ीरा = टापू, द्धीप), (निस्बत = संबंध, लगाव)
कितने नाजां थे कभी मेरी रिफाक़त पे वही
दो क़दम जिनसे मेरा साथ निभाया न गया
(रिफाक़त = मेल-जोल, निष्ठा)
चारागर! तुझ से शिकायत नहीं हमको कोई
ज़ख़्म जो तूने दिए थे वो दिखाया न गया
(चारागर = चिकित्सक)
- आलम खुर्शीद
एक वो है कि कभी उसको भुलाया न गया
उसकी तस्वीर उतारे तो ज़माना गुज़रा
फिर भी दीवार से तस्वीर का साया न गया
इस तरह टूट के बिखरा है कोई ख्वाब कि फिर
दूसरा ख्वाब इन आँखों से सजाया न गया
कैसे वीरान जज़ीरे से है निस्बत दिल को
भूले भटके भी यहाँ कोई न आया न गया
(जज़ीरा = टापू, द्धीप), (निस्बत = संबंध, लगाव)
कितने नाजां थे कभी मेरी रिफाक़त पे वही
दो क़दम जिनसे मेरा साथ निभाया न गया
(रिफाक़त = मेल-जोल, निष्ठा)
चारागर! तुझ से शिकायत नहीं हमको कोई
ज़ख़्म जो तूने दिए थे वो दिखाया न गया
(चारागर = चिकित्सक)
- आलम खुर्शीद
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