Thursday, April 21, 2016

इन नए मौसमों का असर देखिये

इन नए मौसमों का असर देखिये
गिर रहे हैं पुराने शजर देखिये

(शजर = पेड़)

इक जरा सी मुनादी की आवाज़ से
काँप उठा है सारा नगर देखिये

आप के तीर-ओ-नश्तर के इस खेल में
उड़ न जाये कहीं मेरा सर देखिये

ज़िंदगानी हमारी अब इस मोड़ से
लेके जाती है किस मोड़ पर देखिये

जब कहीं कोई रस्ता दिखाई न दे
दिल जिधर कह रहा हो उधर देखिये

हर किसी ने यही कह के लौटा दिया
जाइये दूसरा कोई दर देखिये

ये जो दुनिया है इसको कभी ग़ौर से
देखकर सोंचिये, सोंचकर देखिये

-राजेश रेड्डी

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