इश्क़ की बातें, प्यार की बातें
छोड़ो भी बेकार की बातें
फूलों जैसे बच्चे भी अब
करते हैं तलवार की बातें
सुनते-सुनते डूब गए हम
कश्ती और पतवार की बातें
इस संसार में ढूँढ रहे हैं
जाने किस संसार की बातें
रोज़ उन्ही लोगों से मिलना
रोज़ वही हर बार की बातें
इस बस्ती में अब बूढ़े ही
करते हैं किरदार की बातें
हमको जीत का सुख देती हैं
इसकी-उसकी हार की बातें
अच्छा है अब आने लगी है
ग़ज़लों में घर-बार की बातें
-राजेश रेड्डी
छोड़ो भी बेकार की बातें
फूलों जैसे बच्चे भी अब
करते हैं तलवार की बातें
सुनते-सुनते डूब गए हम
कश्ती और पतवार की बातें
इस संसार में ढूँढ रहे हैं
जाने किस संसार की बातें
रोज़ उन्ही लोगों से मिलना
रोज़ वही हर बार की बातें
इस बस्ती में अब बूढ़े ही
करते हैं किरदार की बातें
हमको जीत का सुख देती हैं
इसकी-उसकी हार की बातें
अच्छा है अब आने लगी है
ग़ज़लों में घर-बार की बातें
-राजेश रेड्डी
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