mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, May 24, 2016
तितलियाँ बाग़-बाग़ उड़ती हैं
तितलियाँ हैं ज़नाब, क्या कीजै
ग़म कोई उम्रभर नहीं रहता
थोड़ा-थोड़ा सही हँसा कीजै
-आशीष नैथानी 'सलिल'
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