Saturday, May 7, 2016

मैं होश में था तो फिर उसपे मर गया कैसे

मैं होश में था तो फिर उसपे मर गया कैसे
ये ज़हर मेरे लहू में उतर गया कैसे

कुछ उसके दिल में लगावट ज़रूर थी वरना
वो मेरा हाथ दबाकर गुज़र गया कैसे

ज़रूर उसकी  तवज्जो की रहबरी होगी
नशे में था तो मैं अपने ही घर गया कैसे

जिसे भुलाये कई साल हो गये 'कलीम'
मैं आज उसकी गली से गुज़र गया कैसे

-कलीम चाँदपुरी



Mehdi Hassan/ मेहदी हसन 






Mehdi Hassan/ मेहदी हसन (Private Mehfil)


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