अपना चेहरा ही अपना लूँ
ये ख़तरा मैं और उठा लूँ
मैं अब अपने साथ निभा लूँ
यानी ख़ुद से आँख चुरा लूँ
जितना समझा उतना उलझा
कैसे अपना अर्थ निकालूँ
बाहर निकालूँ तो चेहरे पर
एक तबस्सुम भी चिपका लूँ
पास नहीं है पत्थर तो क्या
ख़ुद पर कोई प्रश्न उछालूँ
~विज्ञान व्रत
ये ख़तरा मैं और उठा लूँ
मैं अब अपने साथ निभा लूँ
यानी ख़ुद से आँख चुरा लूँ
जितना समझा उतना उलझा
कैसे अपना अर्थ निकालूँ
बाहर निकालूँ तो चेहरे पर
एक तबस्सुम भी चिपका लूँ
पास नहीं है पत्थर तो क्या
ख़ुद पर कोई प्रश्न उछालूँ
~विज्ञान व्रत
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