Sunday, August 28, 2016

फल तो वो देगा जो सबका मीत है

"कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" .........

फल तो वो देगा जो सबका मीत है..

गर हवाएं बह रहीं प्रतिकूल हैं।
राह में कांटे बिछे या फूल हैं।
तम सघन चहुँ ओर ही अंधियार हो।
या कि चहुँदिस दूधिया उजियार हो।
तू तो बस निज कर्म पर विश्वास कर।
और बदले में ना फल की आस कर।
कर्म करने में ही तेरी जीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥

यह नदी जैसे निरंतर बह रही।
और हवा चलती हुई कुछ कह रही।
कर्म निज निस्वार्थ तुम करते रहो।
और सतत ही मार्ग पर बढ़ते रहो।
बीज जब बोया है फल तो आएगा।
आज ना आया तो कल आ जाएगा।
बीज बोना ही जगत की रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है।।

मात्र तेरा कर्म बुद्धि योग है।
विमुख होना कर्म से अभियोग है।
किस लिए तू मोह में आसक्त है।
जब तू मोहन का सखा है भक्त है।
वो ही कर्त्ता है वही करतार है।
उसके हाथों में ही सब अधिकार है।
गर नहीं उसको तनिक स्वीकार है।
फिर तुम्हारी जीत में भी हार है।
'आरसी' की कर्म पहली प्रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥

-आर० सी० शर्मा 'आरसी'

No comments:

Post a Comment