Monday, October 10, 2016

अपनी आवाज़ की लर्ज़िश पे तो क़ाबू पा लो
प्यार के बोल तो होठों से निकल जाते है
अपने तेवर तो सँभालो कि कोई ये न कहे
दिल बदलते हैं तो चेहरे भी बदल जाते हैं
-अनवर मिर्ज़ापुरी

(लर्ज़िश = कंपकंपी, थरथराहट)

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