Monday, October 10, 2016

अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
भूल सकते नहीं ये अहल-ए-नज़र
ख़ूब हँसता हूँ मुस्कुराता हूँ
दोस्तों की सितम-ज़रीफ़ी पर
-महेश चंद्र नक़्श

(अहल-ए-नज़र = दृष्टि वाले, People with vision), (सितम-ज़रीफ़ी = हँसी की ओट में अत्याचार करना)

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