अक्सर इस तरह आस का दामन
दिल के हाथों से छूट जाता है
जैसे होंटों तक आते आते जाम
दफ़्अतन गिर के टूट जाता है
-वसीम बरेलवी
(दफ़्अतन = सहसा, अचानक, अकस्मात्)
दिल के हाथों से छूट जाता है
जैसे होंटों तक आते आते जाम
दफ़्अतन गिर के टूट जाता है
-वसीम बरेलवी
(दफ़्अतन = सहसा, अचानक, अकस्मात्)
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