दीवार-ए-तकल्लुफ़ है तो, मिस्मार करो ना
गर उस से मोहब्बत है तो, इज़हार करो ना
(दीवार-ए-तकल्लुफ़ = औपचारिकता की दीवार), (मिस्मार = तोड़ना)
मुमकिन है तुम्हारे लिए, हो जाऊँ मैं आसाँ
तुम ख़ुद को मिरे वास्ते, दुश्वार करो ना
(दुश्वार = मुश्किल)
गर याद करोगे तो, चला आऊँगा इक दिन
तुम दिल की गुज़रगाह को, हमवार करो ना
(गुज़रगाह = रास्ता, सड़क), (हमवार = समतल)
कहना है अगर कुछ तो, पस-ओ-पेश करो मत
खुल के कभी जज़्बात का, इज़हार करो ना
(पस-ओ-पेश = संकोच, हिचकिचाहट)
हर रिश्ता-ए-जाँ तोड़ के, आया हूँ यहाँ तक
तुम भी मिरी ख़ातिर कोई, ईसार करो ना
(रिश्ता-ए-जाँ = जीवन का रिश्ता), (ईसार = त्याग करना)
"एजाज़" तुम्हारे लिए, साहिल पे खड़ा हूँ
दरिया-ए-वफ़ा मेरे लिए, पार करो ना
(साहिल=किनारा)
-एजाज़ असद
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