Wednesday, May 18, 2016

साया सा इक ख़याल की पहनाइयों में था

साया सा इक ख़याल की पहनाइयों में था
साथी कोई तो रात की तन्हाइयों में था

(पहनाइ = विस्तार, विशालता)

हर ज़ख्म मेरे जिस्म का मेरा गवाह है
मैं भी शरीक अपने तमाशाइयों में था

गैरों की तोहमतों का हवाला बजा मगर
मेरा भी हाथ कुछ मिरी रुसवाइयों में था

(बजा = उचित, मुनासिब, ठीक)

टूटे हुए बदन पे लकीरों के जाल थे
क़रनों का अक्स उम्र की परछाइयों में था

(क़रनों = युगों)

गिर्दाब-ए-ग़म से कौन किसी को निकालता
हर शख़्स ग़र्क अपनी ही गहराइयों में था

(गिर्दाब-ए-ग़म = दुखों का भँवर), (ग़र्क = डूबा हुआ)

नग़मों की लय से आग सी दिल में उतर गई
सुर रुख़सती के सोज़ का शहनाइयों में था

(रुख़सती = रवानगी, प्रस्थान), (सोज़ = जलन, तपिश,कष्ट, दुःख)

'रासिख़' तमाम गाँव के सूखे पड़े थे खेत
बारिश का ज़ोर शहर की अँगनाइयों में था

-रासिख़ इरफ़ानी

1 comment:

  1. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ... कमाल के शेर ... जिंदाबाद ...

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