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Friday, June 7, 2019

चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही
जला के अपना दिया रौशनी मकान में ला

(ताबनाक = प्रकाशमान, चमकदार, चमकीला)

है वो तो हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल से भी परे
ये सोच कर ही ख़याल उस का अपने ध्यान में ला

(हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल = विचारों की सीमा से परे)

-अकबर हैदराबादी