चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही
जला के अपना दिया रौशनी मकान में ला
(ताबनाक = प्रकाशमान, चमकदार, चमकीला)
है वो तो हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल से भी परे
ये सोच कर ही ख़याल उस का अपने ध्यान में ला
(हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल = विचारों की सीमा से परे)
-अकबर हैदराबादी
जला के अपना दिया रौशनी मकान में ला
(ताबनाक = प्रकाशमान, चमकदार, चमकीला)
है वो तो हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल से भी परे
ये सोच कर ही ख़याल उस का अपने ध्यान में ला
(हद्द-ए-गिरफ़्त-ए-ख़याल = विचारों की सीमा से परे)
-अकबर हैदराबादी