Showing posts with label -शायर: आतिश. Show all posts
Showing posts with label -शायर: आतिश. Show all posts

Wednesday, January 16, 2013

बुतख़ाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइये,
दिल को न तोड़िए, ये ख़ुदा का मुकाम है
-आतिश

Friday, January 4, 2013

चारों तरफ़ से सूरत-ए-जानाँ हो जलवागर
दिल साफ़ हो तेरा तो है आईनाख़ाना क्या
-आतिश

Friday, October 12, 2012

ज़मीन-ऐ-चमन गुल खिलाती है क्या क्या,
बदलता है रंग आसमां कैसे कैसे
-आतिश