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Thursday, November 3, 2016

उस मरहले को मौत भी कहते हैं दोस्तों
इक पल में टूट जाए जहाँ उम्र भर का साथ
-शकेब जलाली

(मरहले = ठिकाने, मंज़िलें, पड़ाव)

Tuesday, May 14, 2013

ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे,
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है।
-शकेब जलाली

[(अब्र = बादल), (दश्त = जंगल)]