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Wednesday, May 1, 2013

वो अपने हर क़दम पर है कामयाबे-मंज़िल,
आज़ाद हो चुका जो तक़लीदे-कारवाँ से ।
-अलम मुज़फ्फ़रनगरी

(तक़लीद = नकल या अनुकरण करना, किसी के पीछे बिना समझे-बूझे चलना), (तक़लीदे-कारवाँ = यात्रीदल  के अनुकरण)