वो अपने हर क़दम पर है कामयाबे-मंज़िल,
आज़ाद हो चुका जो तक़लीदे-कारवाँ से ।
-अलम मुज़फ्फ़रनगरी
(तक़लीद = नकल या अनुकरण करना, किसी के पीछे बिना समझे-बूझे चलना), (तक़लीदे-कारवाँ = यात्रीदल के अनुकरण)
आज़ाद हो चुका जो तक़लीदे-कारवाँ से ।
-अलम मुज़फ्फ़रनगरी
(तक़लीद = नकल या अनुकरण करना, किसी के पीछे बिना समझे-बूझे चलना), (तक़लीदे-कारवाँ = यात्रीदल के अनुकरण)