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Saturday, December 22, 2018

इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,
शरारतें तो करते हैं साजिशें नहीं करते
-नामालूम 

Friday, October 12, 2012

खुद इश्क की गुस्ताखी सब तुझको सिखा देगी
ऐ हुस्ने-हया-परवर शोखी भी शरारत भी
-हसरत मोहानी

Thursday, September 27, 2012

तलाश करते हैं उनको ज़रुरत वाले
कहाँ गये वो पुरानी शराफतों वाले

तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले

हम एक तितली की खातिर भटकते फिरते थे
कभी न आयेंगे वो दिन शरारतों वाले

ज़रा सी बात पे आँखें बरसने लगती थीं
कहाँ चले गये मौसम वो चाहतों वाले
-मुनव्वर राना

Tuesday, September 25, 2012

मैं सुलगते हुए राज़ों को अयाँ तो कर दूं ,
लेकिन इन राज़ों की तशहीर से जी डरता हैं।
रात के ख़्वाब उजाले में बयाँ तो कर दूं,
इन हसीं ख़्वाबों की ताबीर से जी डरता हैं।


[(अयाँ = स्पष्ट, ज़ाहिर), (तशहीर = किसी के दोषों को सब पर प्रकट करना), (ताबीर = परिणाम, फल)]

तेरी साँसों की थकन तेरी निगाहों का सकूत,
दर-हकीक़त कोई रंगीं शरारत ही न हो।
मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ,
वो तबस्सुम वो तकल्लुम तिरी आदत ही न हो।


(सकूत = चुप्पी, सन्नाटा), (तबस्सुम = मुस्कराहट), (तकल्लुम = बातचीत)

-साहिर लुधियानवी