हज़ारों सरहदों की बेड़ियाँ क़दमों से लिपटी हैं,
हमारे पांव को भी पर बना देता तो अच्छा था।
परिन्दों ने कभी रोका नहीं रस्ता परिन्दों का,
खुदा दुनिया को चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा था।
-एजाज़ अफ़ज़ल
हमारे पांव को भी पर बना देता तो अच्छा था।
परिन्दों ने कभी रोका नहीं रस्ता परिन्दों का,
खुदा दुनिया को चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा था।
-एजाज़ अफ़ज़ल