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Sunday, April 28, 2013

तू वो क़तरा था जो, अश्के-अरबाबे-नज़र बन सकता था,
तू जाके सदफ़ में क्यों बैठा, जब यूँ ही गुहर बन सकता था।
- आनंद नारायण मुल्ला

 [(अश्के-अरबाबे-नज़र = दिव्यदृष्टी वालों के आँसू), (सदफ़ = सीप), (गुहर = मोती)]

Sunday, February 3, 2013

मैं फ़क़त इन्सान हूँ हिन्दू-मुसलमाँ कुछ नहीं,
मेरे दिल के दर्द में तफ़रीक़े-ईमाँ कुछ नहीं । 


(तफ़रीक़े-ईमाँ = धर्म/ सत्य का बँटवारा/ अंतर)

 -आनंद नारायण मुल्ला

Sunday, January 6, 2013

फलक के तारों से क्या दूर होगी ज़ुल्मते-शब,
जब अपने घर के चराग़ों से रौशनी न मिली।
-आनन्द नारायण मुल्ला

[(फलक -आकाश, आसमान),  (ज़ुल्मते-शब = रात का अंधेरा)]

Sunday, December 23, 2012

नज़र जिसकी  तरफ करके निगाहें  फेर लेते  हो,
क़यामत तक कभी उस दिल की परेशानी नहीं जाती।
-आनन्द नारायण मुल्ला

Sunday, November 25, 2012

रूकती नहीं किसी के लिये मौजे-ज़िन्दगी,
धारे से जो हटे, वो किनारे पर आ गये।
-आनन्द नारायण मुल्ला

Tuesday, October 2, 2012

सरे महशर यही पूछूंगा ख़ुदा से पहले .
तूने रोका भी था मुजरिम को ख़ता से पहले
- आनंद नारायण मुल्ला
वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गयी फुर्सत
हमे गुनाह भी करने को ज़िन्दगी कम है
-आनंद नारायण मुल्ला