Sunday, January 6, 2013

फलक के तारों से क्या दूर होगी ज़ुल्मते-शब,
जब अपने घर के चराग़ों से रौशनी न मिली।
-आनन्द नारायण मुल्ला

[(फलक -आकाश, आसमान),  (ज़ुल्मते-शब = रात का अंधेरा)]

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