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Friday, July 31, 2020

गर न ठुकराते जहां को तो न पाते ख़ुद को
फ़ायदे कितने ही नुक़सान में रक्खे हुए थे
-राजेश रेड्डी 

Friday, May 8, 2020

होश में जब से हूं मैं ये सिलसिला चलता रहा

होश में जब से हूं मैं ये सिलसिला चलता रहा
मैं जहां पर और मुझ पर ये जहां हँसता रहा

थी किसे ये फ़िक्र रिश्ता टूट जाए या निभे
हमने चाहा था निभाना इसलिए निभता रहा

रह सकें परिवार वाले जिंदा बस ये सोच कर
बा जरूरत थोड़ा थोड़ा रोज़ वो बिकता रहा

याद हो पाया न मुझसे पाठ दुनियादारी का
रटने को तो रोज यारो मैं इसे रटता रहा

ढूंढ ही लेता है जालिम दुख मुझे हर हाल में
पीठ पीछे सुख की यारो लाख मैं छिपता रहा

-हस्तीमल हस्ती

Wednesday, March 25, 2020

रफ़्तार करो कम, के बचेंगे तो मिलेंगे।

रफ़्तार करो कम, के बचेंगे तो मिलेंगे
गुलशन ना रहेगा तो, कहाँ फूल खिलेंगे।

वीरानगी में रह के, ख़ुद से भी मिलेंगे
रह जायें सलामत तो, गुल ख़ुशियों के खिलेंगे।

अब वक़्त आ गया है, कायनात का सोचो
ये रूठ गयी गर, तो ये मौके न मिलेंगे।

जो हो रहा है समझो, क्यों हो रहा है ये
क़ुदरत के बदन को, और कितना ही छीलेंगे।

मौका है अभी देख लो, फिर देर न हो जाए
जो कुदरत को दिए ज़ख़्म, वो हम कैसे सिलेंगे।

है कोई तो जिसने, जहाँ हिला के रख दिया
लगता था कि हमारे बिन, पत्ते न हिलेंगे।

झांको दिलों के अंदर, क्या करना है सोचो
ख़ाक़ में वरना हम, सभी जाके मिलेंगे।

-नामालूम

https://www.youtube.com/watch?v=mmoBj2Fc1tM


Wednesday, September 11, 2019

सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते
कुछ ग़म-ए-मोहब्बत हो कुछ ग़म-ए-जहाँ यारो
-हिमायत अली शाएर

Saturday, August 3, 2019

हमको जहाँ-जहाँ भी नयी सोच ले गयी
दुनिया वहाँ-वहाँ मिली दीवार की तरह

दिल तो नहीं था हो लिये फिर भी जहाँ के साथ
इनकार भी न कर सके इनकार की तरह

-राजेश रेड्डी 

Saturday, February 2, 2019

अपने अपने हौसलों अपनी तलब की बात है
चुन लिया हम ने उन्हें सारा जहाँ रहने दिया
-अदीब सहारनपुरी

Monday, January 28, 2019

यूँ रह जहान में कि पस-ए-मर्ग ऐ 'सबा'
रह जाए ज़िक्र-ए-ख़ैर हर इक की ज़बान पर
-नामालूम

(पस-ए-मर्ग = मृत्यु के बाद), (ज़िक्र-ए-ख़ैर = स्मरणोत्सव, स्मारक समारोह)

Saturday, January 26, 2019

ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है
वर्ना सूरज की कहाँ साल-गिरह होती है
-नामालूम 

Sunday, January 20, 2019

मस्ज़िदों का न अब ये शिवालों का है

मस्ज़िदों का न अब ये शिवालों का है
मसअला तो वही दो निवालों का है।

नफ़रतों तुम कहीं दूर जा कर बसो
ये हमारा जहां प्यार वालों का है।

झूठ कहना तो ऐसे कि सच ही लगे
ये हुनर भी तो अख़बार वालों का है।

कह चुके तुम तुम्हारे ही मन की मगर
मरहला तो हमारे सवालों का है।

(मरहला = पड़ाव, ठिकाना, मंज़िल)

ढूँढना यूँ ख़ुदा कोई मुश्किल नहीं
इसमें झगड़ा मगर बीच वालों का है।

- विकास "वाहिद"
२३/०१/२०१९

Sunday, November 6, 2016

बाहर है उजियारा अंदर अँधियारा देख रहा हूँ

बाहर है उजियारा अंदर अँधियारा देख रहा हूँ
झूठी मुस्कानों में जीता जग सारा देख रहा हूँ

शीशे को फौलाद बनाने की जो ताक़त रखते हैं
उन शोलों और अंगारों को नाकारा देख रहा हूँ

प्यार बचा रह जाय कहीं ये दुनिया को मंज़ूर नहीं
हर आँगन हर रिश्ते का मैं बँटवारा देख रहा हूँ

जिनके पाँव उसूलों को दिन रात कुचलते आये हैं
ऐसे लोगों के लब पर सच का नारा देख रहा हूँ

-हस्तीमल 'हस्ती'

Wednesday, June 15, 2016

ये दुनिया रहे न रहे मेरे हमदम

ये दुनिया रहे न रहे मेरे हमदम
कहानी मुहब्बत की ज़िंदा रहेगी
कभी गीत बनके लबों पे सजेगी
कभी फूल बनके ये महका करेगी

मुहब्बत तो है दो दिलों का तराना
मुहब्बत तो है पाक रूहों का संगम
अगर रूह से रूह मिल जाये साथी
तो बेदर्द दुनिया जुदा क्या करेगी

समझता है सारा जहाँ ये हक़ीक़त
मुहब्बत ख़ुदा है ख़ुदा है मुहब्बत
मुहब्बत को दे जायेंगे इतनी अज़मत
ये दुनिया मुहब्बत को सजदा करेगी

(अज़मत = महानता)

-शायर: नामालूम


Mehdi Hassan/ मेहदी हसन 







Thursday, March 3, 2016

जब मैं आया था जहां में, बहुत आलिम था
जितनी तालीम मिली, उतना ही जाहिल हुआ मैं
-इरशाद खान 'सिकंदर'

(आलिम = बुद्धिमान), (तालीम = शिक्षा)

Sunday, May 24, 2015

डाल से बिछुड़े परिंदे आसमाँ मे खो गए

डाल से बिछुड़े परिंदे आसमाँ मे खो गए
इक हकी़क़त थे जो कल तक, दास्ताँ मे खो गए

जुस्तजू में जिसकी हम आए थे वो कुछ और था
ये जहाँ कुछ और है हम जिस जहाँ मे खो गए

(जुस्तजू = खोज, तलाश)

हसरतें जितनी भी थीं सब आह बनके उड़ गईं
ख़्वाब जितने भी थे सब अश्क-ए-रवाँ मे खो गए

(अश्क-ए-रवाँ = आँसुओं का बहाव)

लेके अपनी-अपनी किस्मत आए थे गुलशन में गुल
कुछ बहारों मे खिले और कुछ ख़िज़ाँ में खो गए

(ख़िज़ाँ = पतझड़)

ज़िंदगी हमने सुना था चार दिन का खेल है
चार दिन अपने तो लेकिन इम्तिहाँ मे खो गए

-राजेश रेड्डी

Saturday, November 8, 2014

गुंचे तेरे अंजाम पे जी हिलता है
बस एक तबस्सुम के लिए खिलता है
गुंचे ने कहा कि इस जहाँ में बाबा
ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है ?
-जोश मलीहाबादी

(गुंचा = कली), (तबस्सुम = मुस्कराहट)


Saturday, May 18, 2013

यूँ उठे आह इस गली से हम,
जैसे कोई जहाँ से उठता है ।
-मीर तक़ी मीर

Tuesday, February 12, 2013

तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है
कि हमको तेरा नहीं इन्तज़ार अपना है

मिले कोई भी तेरा ज़िक्र छेड़ देते हैं
कि जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है

वो दूर हो तो बजा तर्के-दोस्ती का ख़याल
वो सामने हो तो कब इख़्तियार अपना है

(तर्के-दोस्ती = दोस्ती का त्याग)

ज़माने भर के दुखो को लगा लिया दिल से
इस आसरे पे कि एक ग़मगुसार अपना है

बला से जाँ का ज़ियाँ हो, इस एतमाद की ख़ैर
वफ़ा करे न करे फिर भी यार अपना है

[(जाँ का ज़ियाँ = जान का नुकसान  ), (एतमाद  = भरोसा, विश्वास)]

'फ़राज़' राहते-जाँ भी वही है क्या कीजे
वह जिसके हाथ से सीना फ़िगार अपना है

[(राहते-जाँ = सुखदायी ), (फ़िगार = घायल, ज़ख़्मी)]

-अहमद फ़राज़

Thursday, January 17, 2013

कहानी मेरी रूदादे-जहाँ मालूम होती है,
जो सुनता है उसी की दास्तां मालूम होती है।
-सीमाब अकबराबादी
(रूदादे-जहाँ = दुनिया की दशा/ दुनिया का हाल)

Sunday, January 6, 2013

ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें,
दूसरों के ग़म भी चलकर देखें।

टूटने पर टूट जाएगा दिल,
आप सपनों को सँभलकर देखें।

रोशनी देते रहे जो कल तक,
उनकी खात़िर आज जलकर देखें।

ये बहुत मुश्किल सही फिर भी हम,
इस जहाँ को ही बदलकर देखें।

उनको गिरने से बचा लेना तुम,
जो ये सोचें हम फिसलकर देखें।
-नित्यानंद 'तुषार'

Thursday, September 27, 2012

अगर आदमी ख़ुद से हारा न होता,
ख़ुदा को किसी ने पुकारा न होता

कहां आसमां पर ख़ुदा बैठ जाता,
जो हम ने ज़मीं पर उतारा न होता

बदलता नहीं वक़्त यह रंग अपने,
किसी आदमी का गुज़ारा न होता

नहीं ख़्वाब कोई हक़ीक़त में ढ़लता,
जो दस्ते-जुनूं ने सँवारा न होता

बुझानी अगर आग आसान होती,
किसी राख में फिर अँगारा न होता

कहीं पर भी होती अगर एक मंज़िल,
तो गर्दिश में कोई सितारा न होता

ये सारे का सारा जहां अपना होता,
अगर यह हमारा तुम्हारा न होता.

-मधुभूषण शर्मा 'मधुर'

Tuesday, September 25, 2012

बिना लिबास आये थे हम इस जहान में,
बस इक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा।
-शायर: नामालूम