यूँ रह जहान में कि पस-ए-मर्ग ऐ 'सबा'
रह जाए ज़िक्र-ए-ख़ैर हर इक की ज़बान पर
-नामालूम
(पस-ए-मर्ग = मृत्यु के बाद), (ज़िक्र-ए-ख़ैर = स्मरणोत्सव, स्मारक समारोह)
रह जाए ज़िक्र-ए-ख़ैर हर इक की ज़बान पर
-नामालूम
(पस-ए-मर्ग = मृत्यु के बाद), (ज़िक्र-ए-ख़ैर = स्मरणोत्सव, स्मारक समारोह)
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