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Tuesday, January 29, 2019

पूछा जो मैं ने यार से अंजाम-ए-सोज़-ए-इश्क़
शोख़ी से इक चराग़ को उस ने बुझा दिया
-नामालूम

(अंजाम-ए-सोज़-ए-इश्क़ = प्यार में जलने का परिणाम)

Monday, October 20, 2014

वो जिसकी दीद में लाखों मसर्रतें पिन्हाँ

वो जिसकी दीद में लाखों मसर्रतें पिन्हाँ
वो हुस्न जिसकी तमन्ना में जन्नतें पिन्हाँ

 (दीद= दर्शन, दीदार), (मसर्रतें = ख़ुशियाँ), (पिन्हाँ = आंतरिक, छिपा हुआ)

हज़ार फ़ित्ने, तहे-पा-ए-नाज़ ख़ाकनशीं
हर एक निगाह ख़ुमारे-शबाब से रंगीं

(फ़ित्ने = उपद्रव), (तहे-पा-ए-नाज़ = सुंदरता/नाज़ो-अदा/ मान-अभिमान के पैर के नीचे), (ख़ाकनशीं = दीन, दुखी, लाचार), (ख़ुमारे-शबाब = यौवन-मद)

शबाब, जिससे तख़य्युल पे बिजलियाँ बरसें
वक़ार जिसकी रफ़ाक़त को शोख़ियाँ तरसें

(तख़य्युल = कल्पना), (वक़ार = गरिमा, प्रतिष्ठा, सम्मान, मान-मर्यादा), (रफ़ाक़त = मैत्री, दोस्ती, संगत, साथ)

अदा-ए-लग़्ज़िशे-पा पर क़यामतें क़ुर्बां
बयाज़े-रुख़ पे सहर की सबाहतें क़ुर्बां

(अदा-ए-लग़्ज़िशे-पा = पैरों के डगमगाने की अदा), (बयाज़े-रुख़ = चेहरे का गोरा रंग), (सहर = सुबह), (सबाहतें = सफ़ेदी, रौशनी, सुंदरता)

सियाह ज़ुल्फ़ों में वारफ़्ता नकहतों का हुजूम
तवील रातों की ख़्वाबीदा राहतों का हुजूम

(सियाह = काली), (वारफ़्ता = खोया हुआ, आत्मविस्मृत, बेसुध, बेख़ुद), (नकहतों = सुगंध, ख़ुशबू), (हुजूम = जान-समूह, भीड़-भाड़)

 (तवील = लम्बी), (ख़्वाबीदा =सोई हुई, सुप्त)

वो आँख जिसके बनाव पे ख़ालिक इतराये
ज़बाने-शे’र को तारीफ़ करते शर्म आये

(ख़ालिक = सृष्टा)

वो होंठ, फ़ैज़ से जिनके, बहारे-लालःफरोश
बहिश्त-ओ-कौसर-ओ-तसनीम-ओ-सलसबील ब-दोश

(फ़ैज़ = दानशीलता), (बहारे-लालःफरोश = लाल फूल बेचने वाली बहारें), (बहिश्त-ओ-कौसर-ओ-तसनीम-ओ-सलसबील = जन्नत और उसकी नहरें), (ब-दोश = कंधे पर लिए हुए)

गुदाज़-जिस्म, क़बा जिस पे सज के नाज़ करे
दराज़ क़द जिसे सर्वे-सही नमाज़ करे

(गुदाज़ = मृदुल, मांसल), (क़बा = एक प्रकार का लम्बा ढीला पहनावा), (दराज़ = लंबा), (सर्वे-सही = सर्व के सीधे पेड़)

ग़रज़ वो हुस्न जो मोहताज-ए-वस्फ़-ओ-नाम नहीं
वो हुस्न जिसका तस्सवुर बशर का काम नहीं

(मोहताज-ए-वस्फ़-ओ-नाम = परिचय या नाम का मुहताज), (तस्सवुर = कल्पना, ख़याल), (बशर = मनुष्य, इंसान)

किसी ज़माने में इस रहगुज़र से गुज़रा था
ब-सद-ग़ुरूरो-तजम्मुल इधर से गुज़रा था

(ब-सद-ग़ुरूरो-तजम्मुल = सैकड़ों अभिमान और सौंदर्य/ हुस्न लेकर)

और अब ये राहगुज़र भी है दिलफ़रेब-ओ-हसीं
है इसकी ख़ाक मे कैफ़-ए-शराब-ओ-शे’र मकीं

(कैफ़-ए-शराब-ओ-शे’र = मदिरा और कविता की मादकता), (मकीं = बसा हुआ)

हवा मे शोख़ी-ए-रफ़्तार की अदाएँ हैं
फ़ज़ा मे नर्मी-ए-गुफ़्तार की सदाएँ हैं

(शोख़ी-ए-रफ़्तार = चाल की चंचलता), (नर्मी-ए-गुफ़्तार = वाणी की कोमलता), (सदाएँ = आवाज़ें)

गरज़ वो हुस्न अब इस राह का ज़ुज़्वे-मंज़र है
नियाज़-ए-इश्क़ को इक सज्दागाह मयस्सर है

(ज़ुज़्वे-मंज़र = दृश्य का अंश), (नियाज़-ए-इश्क़ = प्रेम की कामना)

-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़


आबिदा परवीन/ Abida Parveen



Sunday, July 14, 2013

नक़्श फ़रियादी है, किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन, हर पैकर-ए-तस्वीर का

[(नक़्श = चित्र, निशान), (शोख़ी-ए-तहरीर = शरारत भरी लिखावट, तहरीर की सुन्दरता और बाँकपन), (पैरहन = लिबास, वस्त्र), (पैकर-ए-तस्वीर = चित्र का आकार)]

प्राचीन ईरान में रिवाज़ था कि फ़रियाद करनेवाले काग़ज़ के कपड़े पहनकर आते थे।

काव-काव-ए सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई, न पूछ
सुबह करना शाम का, लाना है जू-ए-शीर का

(काव-काव = खुदाई करना, कड़ी मेहनत), (सख़्तजानी = ऐसी हालत जिसमे प्राण मुश्किल से निकले), (हा = बहुवचन), (तन्हाई = एकांत, अकेलापन), 
(काव-काव-ए सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई = तन्हाई की मुसीबतें, विरह के दुःख), (जू-ए-शीर = दूध की नहर)

शीरीं-फ़रहाद की कहानी में फ़रहाद पहाड़ से दूध की नहर काटने गया था और वहीं पर मर गया। इसलिए जू-ए-शीर लाना मतलब कठिन काम करना या कठिन काम में मर जाना)

प्रेमिका से जुदाई और अकेलेपन की मुसीबतें। शाम और रात का काटना उतना ही कठिन है जितनी कठिनाई फरहाद को दूध की नहर लाने में हुई थी।

जज़्ब:-ए-बेइख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिये
सीन:-ए-शमशीर से बाहर है, दम शमशीर का

(जज़्ब: = तीव्र उमंग, आवेश), (बेइख़्तियार = जिस पर काबू न हो), (शौक़ = इच्छा, अभिलाषा)
(जज़्ब:-ए-बेइख़्तियार-ए-शौक़ = इंतिहाई शौक की हालत, प्रेम का अतिशय भाव), (देखा चाहिये = देखना चाहिये)
(शमशीर = तलवार), (सीन:-ए-शमशीर = तलवार की छाती), (दम = धार, साँस, प्राण)

आगही, दाम-ए-शनीदन, जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ़ 'अ़न्क़ा है, अपने 'आ़लम-ए-तक़रीर का

(आगही = समझ-बूझ, अक़्ल), (दाम = जाल), (शनीदन = सुनना), (दाम-ए-शनीदन = बात को समझने की कोशिश)
(मुद्दआ़ = उद्देश्य, मक़सद), (अ़न्क़ा = दुर्लभ), (आ़लम-ए-तक़रीर = बातों की दुनिया)

बसकि हूँ, ग़ालिब, असीरी में भी आतिश-ज़ेर-ए-पा
मू-ए-आतिश-दीद़: है हल्क़: मिरी ज़ंजीर का

(असीरी = क़ैद), (आतिश-ज़ेर-ए-पा = पाँव के नीचे की आग, व्याकुल, बेताब)
(मू-ए-आतिश-दीद़: = आग में झुलसा हुआ बाल), (हल्क़: = ज़ंजीर की कड़ी)

-मिर्ज़ा ग़ालिब


Wednesday, May 15, 2013

तस्वीर मैंने मांगी थी शोख़ी तो देखिये,
इक फूल उसने भेज दिया है गुलाब का।
-अन्दलीब शादानी 

Friday, October 12, 2012

यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी मैं न था

यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी मैं न था,
लायक़-ए-पा-बोस-ए-जाँ क्या हिना थी, मैं न था।

[(गुलज़ार = बाग़), (बाद-ए-सबा = पूर्व से आने वाली हवा), (लायक़-ए-पा-बोस-ए-जाँ = जो महबूब के क़दमों को चूमने के लायक हो), (हिना = मेंहदी)]

हाथ क्यों बाँधे मेरे छल्ला अगर चोरी हुआ,
ये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना थी, मैं न था।

(सरापा = सिर से पाँव तक)

बेख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

मैंने पूछा क्या हुआ वो आप का हुस्न्-ओ-शबाब,
हँस के बोला वो सनम शान-ए-ख़ुदा थी, मैं न था।

मैं सिसकता रह गया और मर गये फ़रहाद-ओ-क़ैस,
क्या उन्हीं दोनों के हिस्से में क़ज़ा थी, मैं न था।

(क़ज़ा = मौत)

ऐ 'ज़फर' दिल पर तेरे ये दाग़ कैसा रह गया
खानाबाग़-ए-याद थी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा थी मैं न था

(खानाबाग़-ए-याद = घर में बग़ीचे की याद), (ख़ल्क़-ए-ख़ुदा = ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि)

-बहादुर शाह  ज़फ़र


Abida Parveen/ आबिदा परवीन 

Ahmed Hussain-Muhammed Hussain/ अहमद हुसैन-मुहम्मद हुसैन 


Yar tha gulzar tha bad-e-saba thi main na tha
Leyaqe-pa-bos-e-jaan kya hina thi main na tha

Hath kyon bandhe mere chala agar chori hua
Ye sarapa shokhi-e-rang-e-hina thi main na tha

Baykhudi mein lay liya boasa khata keejay muaaf
Ye dil-e-betaab ki sari khata thi main na tha

Main sisakta rah gaya aur mar gaye farahad-o-qais
Kya unhin donon k hisse mein qaza thi main na tha

Main ne pucha kya hua wo ap ka husn-o-shabab?
Hans k bolo vo sanam shan-e-Khuda thi main na tha

Ay Zafar dil par tere ye daag kaisa rah gayaa
khanabaagh-e-yaad thi khalk-e-khuda thi main na tha

- Bahadur Shah Zafar
खुद इश्क की गुस्ताखी सब तुझको सिखा देगी
ऐ हुस्ने-हया-परवर शोखी भी शरारत भी
-हसरत मोहानी