सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएं,
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं
(तही = खाली, रिक्त)
क़ना'अत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर,
चमन और भी, आशियां और भी हैं
[(क़ना'अत = संतोष), (आलम-ए-रंग-ओ-बू = इन्द्रीय संसार)]
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म,
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां और भी हैं
(मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां = रोने-धोने की जगहें)
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमां और भी हैं
(शाहीं = गरुड़, उक़ाब, परवाज़ = उड़ान भरना)
इसी रोज़-ओ-शब में उलझकर न रह जा,
के तेरे ज़मीन-ओ-मकां और भी हैं
(रोज़-ओ-शब = सुबह-शाम के चक्कर)
गए दिन, के तन्हा था मैं अंजुमन में
यहां अब मेरे राज़दां और भी हैं
(अंजुमन = सभा)
- अल्लामा इक़बाल