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Spiritual Science
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-शायर: ज़ौक़
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Monday, December 11, 2017
एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में
बूँद भर पानी से सारी आबरू पानी हुई
-शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
(बज़्म = महफ़िल)
Sunday, September 29, 2013
ऐ शम्अ ! तेरी उम्र-ए-तबीई है एक रात
रोकर गुज़ार, या इसे हँसकर गुज़ार दे
(उम्र-ए-तबीई = स्वाभाविक उम्र, जीवन काल)
-ज़ौक़
Thursday, September 27, 2012
फूल तो दो दिन बहार-ए जांफ़िज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
-ज़ौक
(गुंचा = कली), (
बहार-ए जांफ़िज़ा = दिल को ख़ुश रखने वाली रौनक)
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