इतना क्यों बेकल है भाई
हर मुश्किल का हल है भाई
सूखा नहीं अभी भी सारा
कुछ आँखों में जल है भाई
आँख भले ही टिकी गगन पर
पैरों नीचे थल है भाई
यहाँ ठोस ही जी पाऐगा
जीवन भले तरल है भाई
कहाँ सूद की बात करें अब
डूबा हुआ असल है भाई
वही जटिल होता है सबसे
कहना जिसे सरल है भाई
आप भले ही ना माने पर
हमने कही ग़ज़ल है भाई
-प्रदीप कांत
हर मुश्किल का हल है भाई
सूखा नहीं अभी भी सारा
कुछ आँखों में जल है भाई
आँख भले ही टिकी गगन पर
पैरों नीचे थल है भाई
यहाँ ठोस ही जी पाऐगा
जीवन भले तरल है भाई
कहाँ सूद की बात करें अब
डूबा हुआ असल है भाई
वही जटिल होता है सबसे
कहना जिसे सरल है भाई
आप भले ही ना माने पर
हमने कही ग़ज़ल है भाई
-प्रदीप कांत