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-शायर: आरज़ू लखनवी
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-शायर: आरज़ू लखनवी
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Sunday, May 19, 2019
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
-आरज़ू लखनवी
(सरिश्त = स्वभाव, प्रकृति, गुण, धर्म)
Tuesday, May 14, 2013
दो तुन्द हवाओं पर बुनियाद है तूफां की,
या तुम न हसीं होते या मैं न जवां होता।
-आरज़ू लखनवी
(तुन्द = तेज, तीक्ष्ण, उग्र)
Monday, November 19, 2012
नतीजा एक ही निकला, कि थी क़िस्मत में नाकामी,
कभी कुछ कह के पछताये, कभी चुप रह के पछताये।
-आरज़ू लखनवी
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