mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Tuesday, May 14, 2013
दो तुन्द हवाओं पर बुनियाद है तूफां की,
या तुम न हसीं होते या मैं न जवां होता।
-आरज़ू लखनवी
(तुन्द = तेज, तीक्ष्ण, उग्र)
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment