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Friday, August 4, 2017

जो दिल पे असर करती ऐसी हो फ़ुग़ाँ कोई

जो दिल पे असर करती ऐसी हो फ़ुग़ाँ कोई
वो दर्द कहाँ ढूंढे है दर्द कहाँ कोई

(फ़ुग़ाँ = आर्तनाद, दुहाई)

ख़ामोश ही रह कर मैं कह डालूंगा अफ़साना
हालात बयां कर दे ऐसी है ज़ुबाँ कोई

अब तक जो गुज़ारी है किस तरह भुलाऊं मैं
मेरी ये कहानी है किरदार रवां कोई

चुपचाप ही मर जाऊँ या दिल की सदा कह दूँ
इस दिल की सदा सुन ले ऐसा है यहाँ कोई

'अरमान' सुलगते दिन सुलगी हैं सभी रातें
मिल जाए क़रार-ए-दिल ऐसा हो समाँ कोई

-अश्वनी त्यागी 'अरमान'
'अरमान' कहाँ ग़म की वजह ढूंढ रहे हो
ख़ुद दर्द हो तुम दर्द कहाँ ढूँढ रहे हो
-अश्वनी त्यागी 'अरमान'
हैरां हूँ मैं भी अब तो इस ग़म की ज़्यादती से
हर आह चाहती है के शेर बन के निकले
-अश्वनी त्यागी 'अरमान'
बच लिए मुझ से संग ये कह कर
संभले तुम कब हो ठोकरें खा कर
-अश्वनी त्यागी 'अरमान'

(संग = पत्थर)
बिखरे जज़्बात से चुनता हूँ अपने लफ़्ज़ों को
काश अलफ़ाज़ मेरे फिर तुम्हे तामीर करें
-अश्वनी त्यागी 'अरमान'