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Friday, January 26, 2018

एक दिन ख़ुद को अपने पास बिठाया हमने

एक दिन ख़ुद को अपने पास बिठाया हमने
पहले यार बनाया, फिर समझाया हमने

ख़ुद भी आख़िरकार उन्हीं वादों से बहले
जिनसे सारी दुनिया को बहलाया हमने

भीड़ ने यूं ही रहबर मान लिया है वरना
अपने अलावा किसको घर पहुंचाया हमने

(रहबर = रास्ता दिखाने वाला, पथप्रदर्शक)

मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
ऐसा मरने का माहौल बनाया हमने

घर से निकले, चौक गए, फिर पार्क में बैठे
तन्हाई को जगह जगह बिखराया हमने

भूले भटकों सा अपना हुलिया था लेकिन
दश्त को अपनी वहशत से चौंकाया हमने

(दश्त = जंगल)

जब 'शारिक़' पहचान गए मंज़िल की हक़ीक़त
फिर रस्ते को रस्ते भर उलझाया हमने

-शारिक़ कैफ़ी