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Monday, October 12, 2020

रस्ता चाहे जैसा दे

रस्ता चाहे जैसा दे
साथी लेकिन अच्छा दे

प्यार पे हँसने वालों को   
प्यार में उलझा दे

जिसमें सदियां जी लूं मैं
इक लम्हा तो ऐसा दे 

जैसा हूं वैसा ही दिखूं  
सीरत जैसा चेहरा दे 

चाहे जितने दे लेकिन  
दर्द कोई तो मीठा दे  

थोड़े दुनियादार रहें
हस्ती जी को समझा दे

-हस्तीमल हस्ती 

Friday, May 8, 2020

होश में जब से हूं मैं ये सिलसिला चलता रहा

होश में जब से हूं मैं ये सिलसिला चलता रहा
मैं जहां पर और मुझ पर ये जहां हँसता रहा

थी किसे ये फ़िक्र रिश्ता टूट जाए या निभे
हमने चाहा था निभाना इसलिए निभता रहा

रह सकें परिवार वाले जिंदा बस ये सोच कर
बा जरूरत थोड़ा थोड़ा रोज़ वो बिकता रहा

याद हो पाया न मुझसे पाठ दुनियादारी का
रटने को तो रोज यारो मैं इसे रटता रहा

ढूंढ ही लेता है जालिम दुख मुझे हर हाल में
पीठ पीछे सुख की यारो लाख मैं छिपता रहा

-हस्तीमल हस्ती

Tuesday, April 28, 2020

मुझ को ख़ुद तक जाना था

मुझ को ख़ुद तक जाना था
इश्क़ तो एक बहाना था

रब तक आना जाना था
सच से जब याराना था

हम न समझ पाए वरना
दुःख भी एक तराना था

हाय वहाँ भी बच निकले
हमको जहाँ दिख जाना था

पँख बिना भी उड़ते थे
वो भी एक ज़माना था

-हस्तीमल 'हस्ती'

Thursday, April 23, 2020

याद में उसकी भीगा कर

याद में उसकी भीगा कर
फूलों जैसा महका कर

भीड़ में ख़ुद को तन्हा कर
ये मंज़र भी देखा कर

बूढ़ों में भी बैठा कर
बच्चों से भी खेला कर

सबको राह दिखा लेकिन
अपनी राह भी देखा कर

किससे भूल नहीं होती
इतना भी मत सोचा कर

तू भी दौलत से भर जा
सबके ग़म को अपनाकर

जन्नत किसने देखी है
जीवन जन्नत जैसा कर

प्यार की अपनी आँखें हैं
देख ही लेगा देखा कर


-हस्तीमल हस्ती

Sunday, February 23, 2020

अंतस में जिसके रहा सच्चाई का वास
चेहरे पर उसके रहा हरदम एक प्रकाश
-हस्तीमल हस्ती

Friday, October 18, 2019

काम सभी हम ही निबटाएँ ,यूँ थोड़े ही होता है
आप तो बैठे हुक़म चलाएँ,यूँ थोड़े ही होता है

अपने हुनर की शेखी मारे, वक़्त नाच का आए तो
आँगन को टेढ़ा बतलाएँ यूँ थोड़े ही होता है

कभी कभी तो आप भी हमसे, मिलने की तकलीफ़ करें
हरदम हम ही आएँ - जाएँ यूँ थोड़े ही होता है

-हस्तीमल हस्ती

Saturday, August 10, 2019

टकराए जैसे आईना पत्थर से बार -बार
यूँ लड़ रहा हूँ अपने मुक़द्दर से बार -बार

या रब। हमें ये पाँव भी तूने अता किए
तू ही संभाल, निकलें जो चादर से बार-बार

-हस्तीमल 'हस्ती'

Friday, August 9, 2019

जिस शख्स को ग़म अपने भुलाने नहीं आते

जिस शख्स को ग़म अपने भुलाने नहीं आते
उसके लिए ख़ुशियों के ज़माने नहीं आते

कतरा के न चलिए कभी पथरीली डगर से
आसान सी राहों में खज़ाने नहीं आते

मुश्किल में फ़कत ग़ैर ही दुश्मन नहीं बनते
अपने भी तो अपनों को बचाने नहीं आते

आ जाए अगर वक़्त तो है जान भी हाज़िर
हम उनमें से हैं जिनको बहाने नहीं आते

मैं इसलिए हर शख्स की नज़रों में बुरा हूँ
बस मुझको मेरे ऐब छुपाने नहीं आते

- हस्तीमल हस्ती

Saturday, June 8, 2019

रूठा रूठा हर इक नल है
उम्मीदों में फिर भी जल है
-हस्तीमल हस्ती

Monday, May 13, 2019

सबसे अच्छी प्यार की बातें

सबसे अच्छी प्यार की बातें
बाकी सब बेकार की बातें

फूलों चांद सितारों से भी
प्यारी लगतीं यार की बातें

उसके हुस्न के जैसी दिलकश
तितली फूल बहार की बातें

दिल न भरे कितनी ही कर लो
प्यार की बातें यार की बातें

'हस्ती' है तौहीन सरासर
प्यार में जीत औ'हार की बातें

-हस्तीमल हस्ती

Friday, May 10, 2019

पहले अपना मुआयना करना

पहले अपना मुआयना करना
फिर ज़माने पे तब्सरा करना

(तब्सरा = आलोचना, समीक्षा, तन्कीद)

एक सच्ची पुकार काफ़ी है
हर घड़ी क्या ख़ुदा-खुदा करना

ग़ैर मुमकिन भी है गुनाह भी है
पर को परवाज़ से जुदा करना

अहमियत वे अना की क्या जानें
ख़ूँ में जिनके है याचना करना

(अना = आत्मसम्मान)

आप ही अपने काम आएँगे
सीखिए ख़ुद से मशवरा करना

-हस्तीमल 'हस्ती'

Monday, March 18, 2019

किसे समझ आया भला प्रेम नाम का रोग
उलझ उलझ कर रह गये सुलझे सुलझे लोग
-हस्तीमल हस्ती

Monday, March 11, 2019

साज़ ख़ुशी से  बज पड़े चहकी ख़ुश हो तान
प्रेम चढ़ा परवान जब झूम उठे उद्यान
-हस्तीमल 'हस्ती'

Monday, January 28, 2019

ख़ुद-ब-ख़ुद हमवार हर इक रास्ता हो जाएगा

ख़ुद-ब-ख़ुद हमवार हर इक रास्ता हो जाएगा
मुश्किलों के रूबरू जब हौसला हो जाएगा

वो किसी के आसरे की आस क्यों रक्खे भला
जिसका रिश्ता है जड़ों से खुद हरा हो जाएगा

प्यार की दुनिया से नाता जोड़कर देखो कभी
जिसको छू दोगे वो पत्थर आईना हो जाएगा

सीख ले ऐ दोस्त अपने आप से यारी का फ़न
वरना तेरा ज़िन्दगी से फ़ासला हो जाएगा

ऊंचे-ऊंचे सर भी उस दिन शर्म से झुक जाएंगे
जब भी उनका आईने से सामना हो जाएगा

बख़्श दे यारब मुझे भी कोई मीठी सी कसक
मेरे जीने का भी कोई आसरा हो जाएगा

तुम हवाएं ले के आओ मैं जलाता हूं चिराग़
किसमें कितना दम यारों फ़ैसला हो जाएगा

-हस्तीमल 'हस्ती'



Monday, December 11, 2017

बात ज्यों कि त्यों खड़ी है क्या कहें, किससे कहें

बात ज्यों कि त्यों खड़ी है क्या कहें, किससे कहें
सबको बस अपनी पड़ी है, क्या कहें,किससे कहें

है तकाज़ा संतुलन का पर यहाँ तो हर जगह
आरज़ू कद से बड़ी है,क्या कहें, किससे कहें

अपशकुन आरंभ ही में हो गया है दोस्तों
बाकि पूरी इक लड़ी है क्या कहें, किससे कहें

प्यार का इक फूल था पर पास अपने अब फ़क़त
एक सूखी पंखुड़ी है, क्या कहें, किससे कहें

मुद्दतों से पक्ष दोनों मन से तो तैयार हैं
बस पहल पर ही अड़ी है, क्या कहें, किससे कहें

कूप तो पानी को तरसें और दरियाओं में रोज
मेघ कि लगती झड़ी है,क्या कहें, किससे कहें

- हस्तीमल हस्ती

Sunday, October 1, 2017

सच के हक़ में खड़ा हुआ जाए

सच के हक़ में खड़ा हुआ जाए
जुर्म भी है तो ये किया जाए

हर मुसाफ़िर में ये शऊर कहाँ
कब रुका जाए कब चला जाए

हर क़दम पर है गुमराही
किस तरफ़ मेरा काफ़िला जाए

बात करने से बात बनती है
कुछ कहा जाए कुछ सुना जाए

राह मिल जाए हर मुसाफ़िर को
मेरी गुमराही काम आ जाए

इसकी तह में हैं कितनी आवाजें
ख़ामोशी को कभी सुना जाए

-हस्तीमल 'हस्ती'

Wednesday, November 30, 2016

जोखिमों से लगाव मारे है

जोखिमों से लगाव मारे है
हमको अपना सुभाव मारे है

यूं कमी भी नहीं घरों की हमें
कुछ भटकने का चाव मारे है

तू परेशां है बेख़याली से
और मुझे रखरखाव मारे है

प्यार के हर्फ़ तो हैं ढाई मगर
इनका इक-इक घुमाव मारे है

उनके हक़ में भी हम दुआ मांगें
जिनको मन का रिसाव मारे है

-हस्तीमल हस्ती

Sunday, November 6, 2016

बाहर है उजियारा अंदर अँधियारा देख रहा हूँ

बाहर है उजियारा अंदर अँधियारा देख रहा हूँ
झूठी मुस्कानों में जीता जग सारा देख रहा हूँ

शीशे को फौलाद बनाने की जो ताक़त रखते हैं
उन शोलों और अंगारों को नाकारा देख रहा हूँ

प्यार बचा रह जाय कहीं ये दुनिया को मंज़ूर नहीं
हर आँगन हर रिश्ते का मैं बँटवारा देख रहा हूँ

जिनके पाँव उसूलों को दिन रात कुचलते आये हैं
ऐसे लोगों के लब पर सच का नारा देख रहा हूँ

-हस्तीमल 'हस्ती'

ये तो मुमकिन है कभी कुछ मोजज़ा महसूस हो

ये तो मुमकिन है कभी कुछ मोजज़ा महसूस हो
ये कहाँ मुमकिन है कि इंसां देवता महसूस हो

(मोजज़ा =चमत्कार)

उसकी नज़रों से तुम भी अपनी दुनिया देखना
जब भी कोई शख़्स तुमको बावरा महसूस हो

ख़ूब आती हैं बड़े लोगों को ये चालाकियाँ
कर भी दे बेआसरा तो आसरा महसूस हो

हाल अपना आजकल उस घर कि सूरत है जनाब
ठीक हो सब कुछ मगर बिखरा हुआ महसूस हो

यार का घर हो, नदी का घाट हो, या मैकदा
है वो ही मंदिर जहाँ सुख-चैन सा महसूस हो

'हस्ती' साहब हर क़दम पर चाहिए इतना यक़ीं
हम अकेले ही चलें और क़ाफ़िला महसूस हो

- हस्तीमल 'हस्ती'

Saturday, November 5, 2016

सिर्फ़ ख़यालों में न रहा कर

सिर्फ़ ख़यालों में न रहा कर
ख़ुद से बाहर भी निकला कर

लब पे नहीं आतीं सब बातें
ख़ामोशी को भी समझा कर

उम्र सँवर जाएगी तेरी
प्यार को अपना आईना कर

जब तू कोई क़लम ख़रीदे
पहले उन का नाम लिखा कर

सोच समझ सब ताक़ पे रख कर
प्यार में बच्चों सा मचला कर

-हस्तीमल 'हस्ती'


sirf ḳhayaalon mein na rahaa kar
khud se baahar bhi niklaa kar

lab pe nahin aatin sab baaten
ḳhaamoshi ko bhi samjhaa kar

umr sanvar jaayegi teri
pyaar ko apnaa aaiina kar

jab tu koi qalam kharide
pahle un kaa naam likhaa kar

soch samajh sab taaq pe rakh kar
pyaar men bachchon saa machlaa kar

-Hastimal Hasti